आज के लोग पर्दा हटाते नही हैं,
बात दिल की मगर बताते नही हैं।
दिल में लगा रखते अक्सर गांठें,
दावा करते कुछ भी छुपाते नही।
जो हमारा हम तो उसके हैं यारों,
यूं बेवजह हम ताली बजाते नही।
ऐसे रुठे के तोड़ दिया है रिश्ता,
अब तो ख्वाबों में भी आते नही।
बरसात में परेशान चिड़िया सोचे,
गिरते घर में घोसला बनाते नही।
निकल जाते जो अंजान सफर पे,
वो मुसाफिर लौट के आते नही।
उसकी ख़ुशी में ही अपनी ख़ुशी,
"रैना" दिल को हम जलाते नही। रैना"